वर्ष 2012 में 1962 के युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर इस मांग को बल मिला, जब 13 कुमाऊं के अहीर सैनिकों की गाथा को व्यापक रूप से सुनाया गया और वर्ष 2022 में रेजांगला के युद्ध की 60वीं वर्षगांठ पर अहीर रेजिमेंट की मांग की उत्पत्ति हो गई।